मोहनी चाय के डायरेक्टर रमेश चंद्र अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ीं, करोड़ो के फ्रॉड के मामले में कोर्ट ने फाइनल रिपोर्ट की निरस्त।

कानपुर : देश के नामी टी ब्रांड मोहिनी चाय निर्माताओं में संग्राम रुकने का नाम नही ले रहा है कोविड काल में राहत के लिए दिए गए अतिरिक्त लोन के नाम पर करोड़ों के फ्राड के आरोप में कंपनी के निदेशक दिनेश चंद्र अग्रवाल ने थाना कोतवाली में अपने भाई और प्रबंध निदेशक रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर लिखाई थी। रिपोर्ट धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी और 34 के तहत दर्ज कराई गई थी। ये सभी धाराएं जालसाजी, धोखाधड़ी, फरेब, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने से जुड़ी हैं। इसमें भाई के साथ-साथ भाभी अमिता अग्रवाल, भतीजा हर्षित अग्रवाल, बहू पूजा अग्रवाल के साथ एमरजिंग लोकल कारपोरेट की वाइस प्रेसीडेंट प्रिया वर्मा और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट जावेद खान को भी आरोपित बनाया गया था। हाईप्रोफाइल इस फ्राड के मामले में पुलिस ने विवेचना के बाद 21 अक्टूबर 2021 को अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामला खत्म करने की संस्तुति कोर्ट से की थी। जिसे मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट शिखा रानी जायसवाल ने मोहनी चाय कंपनी के निदेशक रमेश चंद्र अग्रवाल आदि के मुकदमे में लगी अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर पुलिस को अग्रिम विवेचना करने के आदेश दिए हैं। जिससे एक बार फिर रमेश चन्द्र अग्रवाल और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ गयी है।

बोर्ड को सूचना दिए बगैर लोन का पैसा निजी खाते में

कोरोना काल में कंपनी के नाम पर 2.40 करोड़ का लोन लिया गया और यह पैसा निजी खाते में ट्रांसफर कर लिया गया। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को न तो लोन की सूचना दी गई और न ही लोन की रकम दूसरे खाते में ट्रांसफर करने की। जब यह बात दूसरे भाई को पता चली तो विवाद खड़ा हो गया और मामला पुलिस और कोर्ट तक पहुंच गया।

एफआईआर के मुताबिक सिलीगुड़ी में रजिस्टर्ड मोहिनी ग्रुप की एक कंपनी एमटीएल इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड है। इस कंपनी के निदेशक रमेश चंद्र अग्रवाल, हर्षित अग्रवाल, पूजा अग्रवाल, अमित अग्रवाल, दिनेश चंद्र अग्रवाल और सुरेश चंद्र अग्रवाल हैं। कंपनी में दिनेश की हिस्सेदारी 20 फीसदी है। कंपनी को सक्रिय रूप से रमेश और हर्षित देखते हैं। कोरोना काल में प्रधानमंत्री ने उद्यमियों को राहत देने के लिए 20 फीसदी अतिरिक्त लोन देने का एलान किया था। यहीं से खेल शुरू हो गया।

लोन के लिए दूसरी कंपनी की गारंटी दी

आरोप है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सूचना दिए बगैर 17 फरवरी को निदेशक हर्षित अग्रवाल ने यस बैंक की सिविल लाइंस शाखा में 2.40 करोड़ रुपए लोन के लिए आवेदन कर दिया। निदेशक मंडल को बिना बताए और बिना उनकी मंजूरी के 15 मार्च को ये रकम कंपनी के लोन खाते में ट्रांसफर करवा ली। आरोप है कि खाते में रकम आने की जानकारी छिपाई गई। 17 और 19 मार्च को रमेश और हर्षित अग्रवाल ने बगैर बताए लोन खाते से 70 लाख रुपए निकाल लिए। चूंकि लोन राशि निदेशकों के हस्ताक्षर और जानकारी बिना नहीं निकाली जा सकती थी, इसलिए बैंक अफसरों से सांठगांठ की गई। जालसाजी का सिलसिला यहीं नहीं थमा। आरोप है कि रमेश चंद्र अग्रवाल ने 27 मार्च को बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की मीटिंग के अभिलेखों में धोखाधड़ी की और एमटीएल इंडस्ट्रीज द्वारा लोन की गारंटी के रूप में फर्जी दस्तखत करके लेटर आफ कम्फर्ट जमा कर दिया। इस लेटर में दिनेश और सुरेश के जाली दस्तखत बनाए गए। लोन खाते की रकम का एक हिस्सा पत्नी अमिता और बहू पूजा के निजी खातों में भी ट्रांसफर कर दिया गया। यह कंपनी लोन के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। करोड़ों के इस फ्राड के मामले में बैंक अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है।

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