कोरोना वायरस से जल्द ठीक होने वाले मरीजों में बनी रहती है प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता


अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 के उन मरीजों के उप समूह की पहचान की है, जो जल्दी ठीक हुए और शरीर में विकसित एंटीबॉडी ने कोरोना वायरस के खिलाफ तेजी से काम किया। उनके अनुसार कुछ लोग जो कोविड-19 से जल्दी ठीक हो जाते हैं, उनमें वायरस के खिलाफ प्रभावी और लंबे समय तक लड़ने की प्रणाली विकसित होती है।


 


वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे प्रतिरोधक प्रणाली के काम करने के तरीके की जानकारी और बीमारी के खिलाफ टीका विकसित करने में मदद मिलेगी। अमेरिका स्थित ब्रिघम एंड वुमेन हॉस्पिटल सहित विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के हल्के से मध्यम लक्षणों से ठीक हुए मरीजों की जांच की। उन्होंने पाया कि जहां एक ओर अधिकतर मरीजों में समय के साथ एंटीबॉडी के स्तर में कमी आ जाती है, वहीं कुछ लोगों में इस एंटीबॉडी का स्तर संक्रमण के बाद भी कई महीनों तक बना रहता है। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक पिछले अध्ययन में इस बारे में विरोधाभासी जानकारी दी गई थी।


 


मौजूदा अनुसंधान के नतीजों को जर्नल सेल में प्रकाशित किया गया है। इसमें रेखांकित किया गया है कि लंबे समय तक कायम रहने वाले एंटीबॉडी कम समय तक लक्षण वालों में विकसित होते हैं। ब्रिघम एंड वुमेन हॉस्पिटल की सह शोधपत्र लेखक डुएने वेसिमैन ने कहा कि हमने उन लोगों के उप समूह का पता लगाया है, जिनमें कोविड-19 से ठीक होने के बाद स्थायी एंटीबॉडी विकसित हुए।


 


 


इस अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने मार्च से जून 2020 तक बोस्टन के इलाके में कोविड-19 बीमारी से ठीक हुए 92 लोगों को शामिल किया। अध्ययन के मुताबिक इन मरीजों में से पांच को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि बाकी का इलाज गृह एकांतवास में हुआ। वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन लोगों में स्थायी एंटीबॉटी विकसित हुए, उनमें औसतन 10 दिन तक लक्षण रहा जबकि सामान्य एंटीबॉडी वालों में औसतन 16 दिन तक वायरस का असर रहा। 


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