Coronavirus Vaccine Updates: भारत में मिलेगी सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन, दवा कंपनियों से होने लगा प्री-परचेज डील


 


कैंब्रिज की मोडर्ना वैक्सीन की अनुमानित कीमत करीब 3700-4500 रुपए हो सकती है। वहीं फाइजर कंपनी की वैक्सीन की कीमत 420-560 रुपए प्रति डोज हो सकती है।


 


कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में हलचल तेज है। अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील से लेकर साउथ अफ्रीका तक कई देश वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में इतनी बेताबी क्यों है। दरअसल वैक्सीन आने के बाद हम कोरोना माहमारी पर काबू पा सकते हैं और भविष्य में भी हमें कोरोना के संक्रमण का खतरा ना के बराबर हो जाएगा।


 


बता दें कि वैक्सीन में वायरस से मिलता जुलता एक एंटीजन ही होगा, जो हमारे शरीर में डाला जाएगा। लेकिन यह एंटीजन पैथोजैनिक नहीं होगा, यानि कि यह हमें बीमार नहीं करेगा। ऐसे में हमारी बॉडी इसके खिलाफ आसानी से एंटीबॉडी बना लेंगी। जिसका नतीजा ये होगा कि जब कभी असली वायरस हमारे शरीर पर हमला करेगा तो शरीर में पहले से मौजूद एंटीबॉडी उसे आसानी से खत्म कर देंगी और हम बीमार भी नहीं पड़ेंगे।


 


भारत में कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार के एक्शन में आने से उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। सरकार ने किफायती दर पर उपलब्ध कराने के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गावि फाउंडेशन और गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। इसके तहत गेट्स फाउंडेशन गावि फाउंडेशन को 15 करोड़ डॉलर की धनराशि देगी, जिससे वैक्सीन का विनिर्माण हो सकेगा और यह किफायती दर पर करीब 225 रुपए प्रति खुराक पर कम आय वाले देशों को मिल सकेगी।


 


कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार एक्शन में नजर आ रही है। केंद्र सरकार ने वैक्सीन की पहचान, खरीद, वितरण और टीकाकरण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स में संबंधित मंत्रालयों और संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। बता दें कि कई वैक्सीन ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में पहुंच चुकी हैं और कुछ ही महीनों में इन वैक्सीन के बाजार में आने की उम्मीद की जा रही है।


 


कोविडशील्ड का अगस्त के अंत तक भारत में ह्यूमन ट्रायल


ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविडशील्ड का ब्रिटेन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। इस महीने के अंत तक भारत में भी इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू होने की संभावना है। इस वैक्सीन को भारतीय कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया तैयार कर रही है। देश में इसे कोविशील्ड के नाम से लॉन्च किया जाएगा। इसकी कीमत सबसे कम मात्र 225 रुपये प्रति खुराक होगी।


 


वैक्सीन के नाम पर राष्ट्रवाद का डंका बजाना सही नहीं- डब्लूएचओ


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया को चेताया है कि कोरोना वैक्सीन के नाम पर राष्ट्रवाद का डंका बजाना सही नहीं है। डब्लूएचओ ने कहा कि टीके विकसित कर रहे अमीर देशों को वैक्सीन राष्ट्रवाद से बचना होगा। यदि दुनिया के गरीब देशों से कोरोना संक्रमण खत्म नहीं हुआ तो अमीर देश भी दोबारा इसकी चपेट में आ सकते हैं।


 


भारत से आयात बंद होने से उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में टीके की किल्लत


भारत से आयात बंद होने के चलते उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में सांप के जहर को बेअसर करने वाले टीके की किल्लत हो गई है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वास्थ्य मंत्री तैमूर सलीम झागरा ने शुक्रवार को प्रांतीय विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। जमात-ए-इस्लामी की विधायक हुमैरा खातून ने प्रांत के अस्पतालों में सांप के जहर को बेअसर करने वाले टीके की किल्लत की शिकायत की थी।


 


 


सस्ते एन्टीजन जांच किट का इस्तेमाल नहीं करेगी राजस्थान सरकार : गहलोत


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में अधिकारियों से कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए त्वरित एन्टीजन जांच के बजाय आरटी-पीसीआर जैसे भरोसेमन्द जांच किट से ही जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जनता की जिन्दगी से जुड़े मामले में सस्ते एन्टीजन जांच किट का इस्तेमाल नहीं करेगी क्योंकि विशेषज्ञों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने शनिवार को राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाजमा पद्धति को बड़े स्तर पर अपनाया जाए।


 


सिसोदिया ने तीव्र एंटीजन जांच का बचाव किया, कहा इसकी सटीकता लगभग आरटी-पीसीआर के समान


दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 का पता लगाने के लिए तीव्र एंटीजन जांच के उपयोग का बचाव करते हुए कहा कि इसकी सटीकता लगभग आरटी-पीसीआर के समान है। सिसोदिया ने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) की अपनी खूबियां हैं, जिनमें से एक यह है कि यह तुरंत परिणाम दे रहा है जिससे वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। विशेषज्ञों ने इस जांच की रिपोर्ट में गलत परिणाम निकलने की दर को लेकर इसकी सटीकता पर संदेह व्यक्त किया है।


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