CoronaVirus Vaccine: चीन की पहली कोरोना वैक्सीन के बारे में वह सब कुछ जो आपको जानना चाहिए


कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच रूस ने 11 अगस्त को वैक्सीन का पंजीकरण करा के दुनिया की पहला कोरोना टीका बना लेने का दावा कर दिया। स्पुतनिक-वी(Sputnik-V) नाम की इस वैक्सीन का अभी तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल पूरा नहीं हुआ है। वहीं, अब चीन ने भी तीसरे चरण के ट्रायल से पहले ही एक वैक्सीन को पेटेंट दे दिया है। इसे बनाने वाली कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स का दावा है कि यदि कोरोना महामारी चीन में फैलती है, तो वह बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर देगी। दावा किया जा रहा है कि चीन ने सीमित इस्तेमाल के लिए इसे पहले ही मंजूरी दे दी थी, इसलिए यही पहली कोरोना वैक्सीन है। आइए, जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में विस्तार से


 


खबरों के मुताबिक, चीन का यह पहली वैक्सीन है, जिसे पेटेंट दिया गया है। चीन का दावा है कि सेना के जवानों के लिए कैनसिनो बायोलॉजिक्स की वैक्सीन जून में ही मंजूर हो गई थी। पेटेंट के बाद इस वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता के दावे को मजबूती मिली है। चीन के नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रशासन की वेबसाइट पर प्रकाशित एक दस्तावेज में दावा किया गया है कि महामारी फैलने पर इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है।


चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली ने दस्तावेजों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की है कि 11 अगस्त को ही वैक्सीन का पेटेंट जारी हो गया था। मालूम हो कि 11 अगस्त को ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी वैक्सीन 'Sputnik-V' का पंजीकरण होने की घोषणा की थी। इसके बाद चीन ने दावा किया था, पहली कोरोना वैक्सीन रूस ने नहीं, बल्कि उसने बनाई है। 


कैसे बनी है वैक्सीन?


इस वैक्सीन को चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेस के साथ मिलकर तैयार किया है। इसे Ad5-nCOV नाम दिया गया। एडेनो वायरस को आधार स्वरूप लेकर वैक्सीन बनाई गई है। सामान्य सर्दी-जुकाम के वायरस को मोडिफाई कर नोवल कोरोना वायरस का जेनेटिक मटेरियल भी इसमें जोड़ा गया है। दावा है कि कोरोना महामारी से लड़ने में यह वैक्सीन कारगर है।


कब-कब क्या हुआ?


मई महीने में वैक्सीन के फेज-1 ह्यूमन सेफ्टी ट्रायल की रिपोर्ट आई, जिसने वैक्सीन के प्रभावी होने की उम्मीद जगाई। 25 जून को चीनी मिलिट्री ने ‘स्पेशली नीडेड ड्रग’ के तौर पर इसे अप्रूव किया। 20 जुलाई को द लैंसेट मेडिकल जर्नल में वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल्स के परिणाम प्रकाशित किए गए। शोधकर्ताओं का कहना था कि 508 लोगों पर वैक्सीन Ad5-nCOV का ट्रायल किया गया। माइल्ड-स्टेज स्टडी में वॉलेंटियर्स में सुरक्षित और मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया है।


इन देशों में होंगे अंतिम चरण के ट्रायल्स


कैनसिनो बायोलॉजिक्स ने कहा है कि पेटेंट मिलने से साबित होता है कि वैक्सीन प्रभावी और सुरक्षित है। बीते हफ्ते कंपनी ने घोषणा की थी कि वह रूस, ब्राजील और चिली के साथ-साथ सऊदी अरब में तीसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल्स शुरू करेगी। खबरों के मुताबिक, सऊदी अरब में ही इसके लिए पांच हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स आगे आए हैं।


ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की तरह प्रभावी


खबरों के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की ही तरह इस वैक्सीन ने भी एंटीबॉडी और टी-सेल्स, दोनों तरह का इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाया। इससे वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक, कैनसिनो के कार्यकारी निदेशक किउ डोंग्जू ने कहा है कि 40 हजार वॉलेंटियर्स पर फेज-3 के ट्रायल्स होंगे।


 


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