कानपुर एनकाउंटर: कौन है विकास दुबे जिसने 8 पुलिसकर्मियों को मौत की नींद सुला दिया


उत्तर प्रदेश (Vikash Dubey) के कानपुर (Kanpur) में आठ पुलिसकर्मियों के मारने वाला विकास दुबे (Vikas Dubey) हिस्ट्रीशीटर अपराधी है। विकास दुबे (History Sheeter Vikash Dubey) में 60 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। उसका आपराधिक इतिहास रहा है। उसकी हर राजनीतिक दलों में कड़ी पैठ रही है। वह अपने किले जैसे घर में बैठकर बड़ी-बड़ी वारदातें करवा देता था।


हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर दर्ज हैं कई बड़े मामले


कई बड़े राजनीतिक दलों में रही है पैठ, बड़ी-बड़ी वारदातों को देता था अंजाम


थाने में घुसकर बीजेपी के राज्यमंत्री की हत्या करने का भी लगा था आरोप


विकास दुबे की बोलती थी तूती, कोई भी उसके खिलाफ जुबान खोलने से डरता था


जेल में बंद हो या बाहर वारदात को अंजाम देने या करवाने में था माहिर


ईंट के भट्टों, स्कूल और कॉलेजों समेत करोड़ो रुपये की संपत्ति का है मालिक


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कानपुर-शातिर अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं। इस घटना में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र, एसओ शिवराजपुर महेश यादव समेत एक सब इंस्पेक्टर और 5 सिपाही मुठभेड़ में शहीद हुए। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। अब तक पुलिस हुए हमलों में यह सबसे बड़ी घटना बताई जा रही है। विकास दुबे का आपराधिक इतिहास ही नहीं रहा बल्कि उनके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं।


विकास दुबे की पैठ हर राजनीतिक दल पर होती थी इसी वजह से आज तक उसे नहीं पकड़ा गया। विकास दुबे कई राजनीतिक दलों में भी रहा है। बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तरह बना रखा है। यहां उसकी मर्जी के बिना घुस पाना बहुत ही मुश्किल है।


 


थाने में घुसकर की थी दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या


 


विकास दुबे इतना दबंग रहा है कि उसे किसी कानून का डर नहीं है। 2001 में विकास ने थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। संतोष शुक्ला हत्याकांड ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था लेकिन पुलिस से लेकर कानून तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया।


 


किसी पुलिसवाले ने नहीं दी थी गवाही


विकास दुबे किसी फिल्मी खलनायक से कम नहीं है। बताया जा रहा है कि थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोप लगने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। बताया जाता है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई साक्ष्य कोर्ट में नहीं दिया गया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया।


 


चचेरे भाई की हत्या समेत कई में आया नाम


 


विकास दुबे इसके अलावा 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी विकास दुबे को नामजद किया गया था। इसी साल उसके ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा था। यह साजिश उसने जेल से बैठकर रची थी। 2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था। 2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था।


 


जेल में बैठे-बैठे ही भाई को मरवा दिया


 


2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया था। अनुराग की त्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।


 


राजनीतिक दलों में पैठ


 


हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की सभी राजनीतिक दलों पर पकड़ रही है। 2002 में बीएसपी की मायावती सरकार के दौरान उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त का आरोप है। उसने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई हैं। बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है।


 


जेल से जीता था चुनाव


 


विकास दुबे जेल में रहने के दौरान ही चुनाव लड़ा था और शिवराजपुर से नगर पंचयात का चुनाव जीता भी था। बताया जा रहा है कि बीएसपी के कार्यकाल में उसकी बीएसपी में कड़ी पैठ थी। जेल से ही वह हत्याएं समेत कई वारदातों को अंजाम दिलवा देता था।


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