घायल दारोगा ने कानपुर कांड की सुनाई आंखों देखी दास्तां, कहा- 'विकास दुबे ने किया खूनी ताँडव' लग रहा था मौत सामने खड़ी है।


कानपुर एनकाउंटर में आठ पुलिस कर्मियों के शहीद होने का जिम्मेदार मुख्य आरोपी विकास दुबे अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। विकास को पकड़ने के लिए कई राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं इस मुठभेड़ में गोरखपुर के रहने वाले दारोगा सुधाकर पांडे घायल हो गए थे। उन्होंने बताया कि हमले के दौरान लगा कि मौत बिल्कुल सामने खड़ी है।



मंगलवार को उन्होंने बताया की वह डिस्चार्ज होकर अपने आवास लखनऊ पहुंच चुके हैं, कुछ दिनों में अपने गांव गोरखपुर गोला तहसील के बेलपार पाठक पहुंच जाएंगे। डॉक्टर द्वारा कुछ दिन के लिए बेड रेस्ट दिया गया है। सुधाकर पांडे ने बताया कि विकास दुबे की घर पर होने की सूचना मुखबिर द्वारा मिली, जिस पर क्षेत्राधिकारी स्तर की टीम जिसमें तीन थाने शामिल थे। विकास दुबे के गांव पहुंच गई। पुलिस टीम में लगभग 40 लोग थे। रात के करीब एक बजे पुलिस टीम जब विकास दुबे के गांव पहुंची तो देखा कि रास्ते को जेसीबी लगाकर रोक दिया गया है।



टीम ने अपनी गाड़ियां वहीं खड़ीं कीं और पैदल विकास के घर पहुंच गई, जिसकी पल-पल की सूचना उसे मिल रही थी, जैसे ही पुलिस गांव पहुंची तो लाइट कट गई। पांडे ने बताया कि विकास के छत के ऊपर कम से कम 30 से 35 की संख्या में हथियार बंद लोग मौजूद थे। पुलिस कुछ समझ पाती उससे पहले विकास दुबे के लोगों ने पुलिस के ऊपर अचानक गोलियां चलानी शुरू कर दी और बम भी फेंके। ऐसे में लगा कि अब मौत निश्चित है, आंखों के सामने अंधेरा छा गया था।



विकास दुबे की टीम के पास 315 बोर की राइफल और 12 बोर के हथियार मौजूद थे, कुछ ही मिनट में बदमाशों ने सैकड़ों राउंड गोलियां पुलिस टीम के ऊपर चला दीं। गोलियां चलते ही पुलिस टीम ने मौके पर मोर्चा संभाला लेकिन बदमाशों ने अंधेरे का लाभ उठाते हुए पुलिस वालों पर हमला किया, लेकिन गांव के लोगों ने भी पुलिस का साथ नहीं दिया।



पांडे ने बताया कि पुलिस टीम को हमला होने का अंदेशा नहीं था। चौबेपुर थाने का एक सिपाही हमले में शहीद हुआ, शहीद होने वालों में ज्यादा संख्या बिठूर थाने की है। पुलिस टीम में 6 लोग घायल हुए थे जिसमें केवल अभी तक सुधाकर पांडे डिस्चार्ज हुए बाकी 5 लोगों का अभी इलाज चल रहा है।


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