Attack on Kanpur Police: गम और गुस्से में बलिदानियों का परिवार, कुख्‍यात के खात्‍मे की मांग


कानपुर में कुख्‍यात विकास दुबे से मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिसकर्मियों में से दो आगरा मंडल के निवासी हैं। इनमें से एक सिपाही आगरा के फतेहाबाद और दूसरे मथुरा के निवासी थे। दोनों ही बलिदानियों के घर पर गम और गुस्‍से का माहौल है। फतेहाबाद के गांव पोखर पांडेय में शुक्रवार सुबह बेटे की शहादत की जानकारी होते ही पिता व परिवार के अन्य सदस्य कानपुर चले गए। अब गांव के लोग और रिश्तेदार उनके घर पर हैं। गांव वालों को बेटे को खोने का गम है और अपराधियों पर गुस्सा भी है। उनका कहना है कि अब कुख्‍यात और उसके गैंग का खात्मा करना चाहिए।


 


फतेहाबाद कस्बे से दो किमी दूरी पर स्थित गांव पोखर पांडेय निवासी छोटेलाल के बेटे बबलू वर्ष 2018 में पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए। कानपुर में ही ट्रेनिंग के बाद यहीं तैनाती मिली। वर्तमान में वे बिठूूर थाने में तैनात थे। परिवार के लोगों ने बताया कि गुरुवार शाम सात-आठ बजे भाई दिनेश के मोबाइल पर बबलू का फोन आया था। उनसे हालचाल लिए। दिनेश के मोबाइल पर इसके 12 घंटे बाद ही दुखद सूचना मिली। कानपुर से किसी पुलिस अधिकारी ने उन्हें फोन कर भाई के बलिदान के बारे में बताया। इसके बाद घर में कोहराम मच गया। पिता छोटेलाल, भाई दिनेश व परिवार के अन्य सदस्य कानपुर चले गए। घर में अभी कोहराम मचा है। गांव के लोग सभी घर के बाहर बैठे हैं। पूरे गांव में बस बबलू के बारे में ही चर्चा है। उनका कहना है कि बबलू बहुत मिलनसार था। वह जब भी छुट्टी आता था, सबसे सम्मान देकर मिलता था। अब सरकार और पुलिस को बदमाशों का खात्मा करना चाहिए। तभी बबलू के बलिदान का बदला पूरा होगा।


 


पिता और भाई हैं राजमिस्त्री


 


बबलू के परिवार की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं है। उनके पिता पर खेत नहीं हैं। मकान भी बहुत अच्छा नहीं बना है। चार भाइयों में बबलू तीसरे नंबर के थे। पिता और बड़े पिता पैरों से दिव्यांग हैं, इसके बाद भी राजमिस्त्री का काम करते हैं। बबलू के बड़े भाई दिनेश भी उनके साथ काम करते हैं। छोटे भाई उमेश ने इस वर्ष 12वीं की परीक्षा पास की है। बबलू के पांच बहनें हैं। बबलू की पुलिस में नौकरी लगने के बाद परिवार को उम्मीद की किरण जागी थी।



 


पिछले माह आए थे छुट्टी पर


 


बबलू के परिवार के लोगों ने बताया कि वे चार माह बाद वे तीन जून को गांव में छुट्टी आए थे। नौ जून को वे चले गए। परिवार के सभी लोगों से वे कहते थे कि अब किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। सभी बेहद खुश थे। शादी को रिश्ते भी आ रहे थे।



मथुरा में जितेंद्र के घर पर कोहराम


 


कानपुर में बदमाशों से हुई मुठभेड़ में सिपाही जितेंद्र पाल सिंह के बलिदान की खबर आने पर घर में कोहराम मच गया है। पूरे इलाके में लोग गुस्से में हैं। पिता तीर्थपाल सिंह के तीन बेटों में सबसे बड़े जितेंद्र अविवाहित थे। परिवार मथुरा के औरंगाबाद स्थित इंदिरा आवास कॉलोनी में रहता है। सुबह पिता को फोन पर बेटे वे बलिदान की जानकारी मिली। दो बेटों के तीर्थपाल कानपुर रवाना हो गए। लेकिन मां रानी को केवल जितेंद्र के घायल होने की जानकारी दी। करीब साढ़े नौ बजे मां को टीवी के जरिये जितेंद्र के बलिदान की जानकारी मिली तो कोहराम मच गया।


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