#Kanpur-कोरोना एलर्टनेस के नाम पर अव्यवस्थाओ ने ले ली बीमार युवक की जान।


▶म्रतक के परिजनों का उन्नाव जिला प्रशासन पर आरोप,गंभीर हालत में भी नहीं जाने दिया कानपुर-उन्नाव गँगाघाट पुल से 22 किलोमीटर घूमकर रात को कानपुर पहुंचे तो  डाक्टरों ने इलाज से पहले कोरोना जांच के नाम पर कर दी देर।


कानपुर-कोरोना से बचाव के  लिए देश में लॉक डाउन लागू है तो हर जगह एलर्ट रहने की कोशिश की जा रही है लेकिन इसी एलर्टनेस के चक्कर में कई निर्दोष गंभीर मरीज न समय पर कानपुर के हॉस्पिटल पहुंच पा रहे है न समय पर डाक्टर उनका इलाज कर रहे है। कानपुर में गुरुवार को एक 40 वर्षीय युवक की मौत हो गई परिजनों की माने तो घर से लेकर हॉस्पिटल तक उन्नाव और कानपुर में मरीज के  साथ कोरोना लॉक डाउन के नाम पर जो बर्ताव किया गया की उस देरी से ही मौत हो गई।  


कानपुर के भगवत दास घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया म्रतक गोविन्द के परिजन अपने देश की उन व्यवस्थाओ का रोना रो रहे है जिसमे आजकल कोरोना के नाम पर उन मरीजों को अपनी जान गवानी पड़ रही है जिनको कोरोना न होकर भी उसके कहर  में जीवन देना पड़ रहा है गोविन्द उन्नाव के शुक्लागंज में रहते है सांस के रोगी गोविन्द का कानपुर  जिला हॉस्पिटल में इलाज चलता है म्रतक के भतीजे राजू ने आरोप लगाते हुए बताया की मंगलवार रात दो बजे  हालत ख़राब हुई थी उन्नाव पुलिस ने पुल सील होने के नाम पर पहले कानपुर-उन्नाव गँगा पुल से जाने नहीं दिया तब परिजन 22KM बाइक से लेकर जब कानपुर के उर्सला अस्पताल पहुंचे तो यहाँ डाक्टरों ने कोरोना भय के नाम पर हैलट रेफर कर दिया हैलट में डाक्टरों ने इलाज से पहले कोरोना जांच के नाम पर इलाज ही नहीं किया जिससे उनकी मौत हो गई जबकि गोविन्द  एक महीने से घर से निकले ही नहीं घर में किसी को कोरोना जैसे लक्षण दूर दूर तक नहीं है।


कानपुर के GSVM मेडिकल कालेज में शहर का COVID19 हॉस्पिटल है यहां इलाज करने वाले एक जूनियर डॉक्टर को कोरोना पाजटिव हो चुका है जिसके बाद शहर के हर हॉस्पिटल ने सांस और बुखार के साथ डिलेवरी कराने वाली महिलाओ की कोरोना जांच कराना शुरू करा दी है गोविन्द के परिजनों का आरोप है की गोविन्द का डेढ़ साल से चेस्ट का इलाज चल रहा था हमने डाक्टरों से उसी आधार पर इलाज को कहा लेकिन उन्होंने बगैर कोरोना जांच कराये इलाज से मना कर दिया कम से कम जिसके लक्षण न हो उसका तो इलाज करना चाहिए था समय पर इलाज न होने से ही गोविन्द की मौत हो गई। 


वही इसी मामले पर मेडिकल कालेज की प्रिंसिपल डॉ आरती लाल चंदानी ने बताया म्रतक गोविंद काफ़ी गम्भीर हालात में हॉस्पिटल आया था उसे ICU में भर्ती किया गया था कोरोना जांच के लिए सैम्पल लिया गया था, लेकिन साथ में ही उसका इलाज भी शुरू किया गया था। इलाज न करने के आरोप सरासर गलत है।


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