Lockdown : मध्यम वर्गीय परिवारों के चेहरों पर मायूसी

 


✍अभय त्रिपाठी 9335690008


कानपुर- शहर में लॉकडाउन बढऩे से मध्यमवर्गीय वर्ग पर आर्थिक उदर पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई हैं। मध्यमवर्गीय वर्ग को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन समाप्त होते ही वे अपने रोजगार में लगकर अपनी व परिवार की जीविका चलाएंगे मध्यमवर्गीय वर्ग में फुटकर व्यापारियों का समावेश अधिक हैं। लॉकडाउन में क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था निर्धन परिवारों के लिए की गई हैं परंतु जो परिवार सुबह कमाते हैं एवं उन्ही कमाए हुए पैसों से रात का भोजन करते है, क्या केवल उनकी भोजन की व्यवस्था कर देने से ही उनकी आजीविका चलते रहेगी। भोजन के अलावा भी घर चलाने के लिए अन्य संसाधनो की आवश्यकता होती हैं। उसकी पूर्ति कहा से होगी ये यक्ष प्रश्न है?? 
मध्यम वर्गीय परिवार झेल रहा अधिक मार क्षेत्र में सबसे अधिक आर्थिक मार यदि कोई झेल रहा हैं तो वो हैं मध्यवर्गीय परिवार, न तो इन परिवारों के पास समृद्ध वर्गीय जितना बैंक बैलेंस है और न ही यह गरीबों की भांति भोजन मांग के खा सकते हैं।
मध्यम परिवार के लोग इस परिस्थिति में ना उगल सकते है ना निगल सकते है वाली कहावत में फंसे जैसे हो गये है। लॉकडाउन समाप्त होने की जिसे सबसे अधिक आशा थी वह मध्यवर्गीय परिवार ही था। कुछ ऐसे भी परिवार है जो अब कामकाज बंद होने की वजह से उनके पास पैसा नहीं अनाज नहीं तो जरूरी आवश्यक सामान, घरेलू दैनिक वस्तुए कैसे खरीदे करे उनके लिए चिंता का विषय बना गया 


कोरोना महामारी के इस वक्त में यूपीटीवी_लाइव न्यूज़ चैनल सभी से अपील करता है कि अपनी क्षमता के अनुसार अपने आस-पास के मध्यमवर्गीय परिवारो की भी यथा सम्भव मदद करें क्योंकि ये वर्ग अपने स्वाभिमान के लिए किसी को भनक भी नही लगने देता की वो कितना कष्ट झेल रहा है।


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