कानपुर हैलट अस्पताल में डॉक्टर के बेटे की मौत के मामले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने किया ट्वीट


कानपुर, हैलट में सोमवार को एक पिता अपने तड़पते बेटे को स्ट्रेचर पर लेकर दौड़ते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। किसी तरह इमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन कुछ देर बाद ही 28 वर्षीय बेटे की मौत हो गई। पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने पर बिसरा सुरक्षित किया गया इसी मामले में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट करके दुःख जताते हुए सरकार से सभी मरीजो के इलाज सुनिश्चित करने के लिए कहा है।


पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट में कहा ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा. सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ़ किसी भी मरीज़ की उपेक्षा न करे।


इंदिरानगर निवासी होम्योपैथिक डॉक्टर राकेश चंद्र पांडेय ने बताया कि 28 वर्षीय बेटा आनंद होम्योपैथिक दवा निर्माण की यूनिट संभालता था। पिछले साल ही उसकी शादी हुई थी। तीन माह की बच्ची है। उसे पिछले कुछ समय से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। रविवार सुबह से उसे बुखार था और खांसी आ रही थी। नाश्ता करने के बाद उसे सांस लेने में परेशानी हुई। आंखों से दिखना बंद हो गया। कोरोना संक्रमण की आशंका पर उसे फ्लू ओपीडी लेकर गए। राकेश ने बताया कि यहां स्ट्रेचर मांगा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। वार्ड ब्वाय तक बाहर नहीं निकले। एक पुलिसकर्मी ने स्ट्रेचर दिया।


पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं, बिसरा सुरक्षित


डॉक्टरों ने चेकअप किया और कोरोना वायरस के लक्षण न होने पर इमरजेंसी ले जाने के लिए कह दिया। खुद ही उसे इमरजेंसी वार्ड तक ले गए और भर्ती कराया। यहां से जांच के लिए भी खुद ही बेटे को स्ट्रेचर से ले जाना पड़ा। कुछ घंटे बाद उसकी मौत हो गई। राकेश ने अस्पताल की व्यवस्थाओं पर रोष जताया। कहा कि यदि बेटे को वेंटीलेटर पर रखा जाता तो उसकी जान बच सकती थी। थाना प्रभारी अश्विनी पांडेय ने बताया कि पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने पर विसरा सुरक्षित किया गया है। मृतक के स्वजन अगर तहरीर देंगे तो जांच की जाएगी।


वही इसी मामले में हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि युवक में कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे। स्वजन गलती से कोविड-19 हॉस्पिटल की फ्लू ओपीडी लेकर चले गए, इसलिए वहां के डॉक्टर ने इमरजेंसी भेज दिया। वहां कोरोना संक्रमित भर्ती होने के कारण फ्लू ओपीडी की स्ट्रेचर सामान्य मरीजों को नहीं दी जाती हैं। इमरजेंसी के मेडिसिन यूनिट के रेजीडेंट ने उसका चेकअप किया था। उनके मुताबिक युवक मनोरोगी था। दवा के ओवरडोज की वजह से हालत बिगड़ी थी। उसमें प्वाइजनिंग जैसे लक्षण थे। गंभीर स्थिति को देखते हुए मेडिसिन आइसीयू में रखा गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। संदिग्ध मामला होने पर ही शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इलाज में लापरवाही का स्वजन का आरोप निराधार है।


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